हौसला तो तुझ में भी ना था मुझमे जुदा होने का, वरना काजल तेरी आँखों का यूँ ही ना फैला होता

याद करेंगे तो दिन से रात हो जायेगी,
आईने को देखिये हमसे बात हो जायेगी,
शिकवा न करिए हमसे मिलने का,
आँखे बंद कीजिये मुलाकात हो जायेगी।

हौसला तो तुझ में भी ना था मुझमे जुदा होने का,
वरना काजल तेरी आँखों का यूँ ही ना फैला होता।


हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथ,
ले जाते दिल को खाक में इस आरज़ू के साथ।
बस इतनी बात पे सब अहल-ए-महफ़िल हो गए बरहम,
कि तेरे नाम के हमरा मेरा नाम क्यूँ आया।

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