थोड़ी दीवानगी मैं लाऊंगा थोड़ी वफा तुम ले आना, साझे में कर लेंगे फिर से कारोबार ए मोहब्बत

वो करते हैं शिकायत हमसे
कि हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते हैं,
शायद उन्हें नहीं पता कि
हमें हर मुखड़े में सिर्फ वो ही नज़र आते हैं।

तुम्हारे मिलने के बाद नाराज़ है रब्ब मुझसे,
क्योंकि मैं उनसे अब और कुछ मांगता ही नहीं।



तुम्हारा आगोश देता है सुकून-ए-इश्क़ मुझको,
ज़िन्दगी भर अपनी बाहों में यूँ ही क़ैद रखना मुझे।


बक्शा है मुझे हुस्न आपकी आँखों ने,
आप ही तो लेकर आये हो मुझे इस गुरूर-ए हद तक।



थोड़ी दीवानगी मैं लाऊंगा थोड़ी वफा तुम ले आना,

साझे में कर लेंगे फिर से कारोबार ए मोहब्बत।


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