बिछड़ के मोहब्बत के फसाने याद रहते हैं, उजड़ जाती है महफिल मगर चेहरे याद रहते हैं

मेरी नज़रों को तेरी आदत है कुछ इस तरह से ,
कि तेरे जाते ही सब धुँधला नज़र आता है मुझे।

बिछड़ के मोहब्बत के फसाने याद रहते हैं,
उजड़ जाती है महफिल मगर चेहरे याद रहते हैं।

तेरी याद आ रही है अब तो वापस आजा,
अब रहा नहीं जाता तेरे बिना।

यहां हजारों शायर हैं जो तख्त बदलने निकले हैं,
कुछ मेरे जैसे पागल हैं जो वक्त बदलने निकले हैं।


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